O. P. Jha
शिर्डी साईबाबा : जीवन दर्शन और भक्ति में साईबाबा के जीवन दर्शन और भक्ति की सरल शब्दों में गहन व्याख्या हुई है। बाबा के गुरुमंत्र - ’श्रद्धा और सबूरी’ का भारतीय चिंतन तथा आज के संदर्भ में क्या महत्व है? बाबा के महावाक्य ’सबका मालिक एक’ का विश्व शांति में क्या योगदान है? मानव जीवन में भटकन क्या है? साई भक्ति का सामाजिक संदर्भ क्या है? बाबा के वचनों का शास्त्रीय आधार क्या है? साईबाबा केवल एक संत हैं या फिर राम और कृष्ण की श्रेणी के अवतार? बाबा ने कभी भी किसी को गुरुमंत्र क्यों नहीं दिया? गुरु कैसा होना चाहिए? आरती का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है? पृथ्वी की त्रिज्या, प्रकाश के वेग और आरती में क्या संबंध है? साईबाबा दक्षिणा क्यों स्वीकार करते थे? भिक्षाटन किसे करना चाहिए और किसे नहीं? इन सबका समाधान इस पुस्तक में है। इसमें वेद-उपनिषद सहित विविध ग्रंथों के साथ-साथ विश्व साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता दर्जनों साहित्यकारों की कृतियों पर प्रसंगवश विस्तार से चर्चा हुई हैं। इस पुस्तक में आधुनिक विश्व और मानव जीवन के चहुंमुखी विकास के सूत्र है। इससे यह पुस्तक सभी के लिए एक मौलिक पठनीय-संग्रहणीय कृति बन गई है।