Jeevani Dr. Bhimrao Ambedkar

Jeevani Dr. Bhimrao Ambedkar

Shubham Gupta

15,46 €
IVA incluido
Disponible
Editorial:
Repro India Limited
Año de edición:
2022
ISBN:
9789390605804
15,46 €
IVA incluido
Disponible
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'अरे तुम कितनी दुर्दशा में हो। तुम्हारे असहाय चेहरे देखकर और तुम्हारे दीनता भरे शब्द सुनकर मेरा हृदय रोता है। तुम अपने ऐसे दीन-हीन जीवन से दुनिया के दुःख-दर्द क्यूं बढ़ाते हो? तुम अपनी माँ के गर्भ में ही क्यूं न मर गए? अब भी मर जाओ तो तुम संसार पर बड़ा उपकार करोगे। यदि तुम्हें जीवित रहना है, तो जिन्दादिल बनकर जियो। इस देश के अन्य नागरिकों को मिलता है, वैसा अन्न, वस्त्र और मकान तुम्हें भी हासिल हो। यह तुम्हारा जन्म-सिद्ध अधिकार है और इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए तुम्हें ही आगे आना होगा। बड़ी मेहनत तथा दृढ़ता के साथ संघर्ष करना होगा।'- डॉ. भीमराव अम्बेडकरDr. B.R. Ambedkar’s words: ''Oh, how unfortunate you are! My heart aches while looking at your helpless face and listening to your meek words. Why do you suffer so much in this life of yours? Why didn’t you die in your mother’s womb? If you die now, you will be granting a great benefit to the world. If you want to live, then live with zeal and enthusiasm. You are entitled to the same food, clothing and shelter as other citizens of this country. This is your birthright and you have to fight for it with hard work and determination.''

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