OSHO
’यह एक आनंद की बात है, हमारी विस्मृत हो रही धरोहर से ओशो ने हमारी आज की भाषा में हमारा एक बार फिर से परिचय करवा दिया है। जो आज तक संस्कृत में था, पाली में था, प्राकृत में था और दुरुह जिसकी टीकाएं-व्याख्याएं होती रही थी, वह सारा ज्ञान सरल हिन्दी और अंग्रेजी में हमें ऐसी जीवंतता के साथ ओशो ने उपलब्ध करवा दिया है कि हम उसकी मौलिकता को छू सकते हैं, उसकी ऊंचाई पर चढ़कर सांस ले सकते हैं, उसकी गहराइयों में उतर सकते हैं।’